क्या कर रहा है…?
कुछ नहीं यार, चार घंटेसे स्क्रोल कर रहां हूँ…
मुँह से नही बस उंगलीयोंसे बोल रहा हूँ…
हं…
चल, फेसबुक पे कुछ पोस्ट डाल देतें है
पाच-पच्चीस LIKES तो ऐसे मिल जाते है
थोड तेल तू डाल, लोग तो पुरा डीब्बाही खाली करते है…
चल कुछ चटपटी बाते करते है…
आमीर खाँ पे बाते करते है…

जो कुछ चल रहा है उसपे बोलता जा
अपने मन के पट बेलगाम खोलता जा
डाल दे कुछ भी अपडेट
लोक भी खुद को अपडेट की फिक्र मे रहते है
दोन मिनट रुक…
चल आजा अब कमेंट चेक करते है…
हा…हा…हा…
चल कुछ चटपटी बातें करते है…
आमीर खाँ पे बाते करते है…

कोई सहिष्णू, कोई असहिष्णू
हमे क्या फर्क पडता है..
बहते पानी मे हात धोते है…
थोडा माहौल पैदा करते है…
जुमला फिट्ट हो जाए तो बवाल पैदा करते है
चलकुछ चटपटी बाते करते है…
आमीर खाँ पे बाते करते है…

अरे क्या बात कर रहा है…?
पढाई-लिखाई, काम-धाम होता रहेगा…
फेसबुक की हर गती-विधीमे शामील होना हमारा काम है…
अपने मे मशगुल रहना बस इसीमे अपना नाम है
तुम तुम्हारा काम संभालो, हम हमारा संभालेंगे
चाहे घटना मूल मालूम हो ना हो…
हम तो पोस्ट जरूर डालेंगे…
खुद को अपडेट करना चाहिए ना…?
मन मे जो कुछ आए बोल देना चाहिए ना…?
किसी को अच्छा लगे बुरा लगे माहौल तो बनना चाहिए ना…?
गुरू मजा तो तब आता है…
करते-धरते कुछ नही बस उंगलीयोसे चर्चा मे आते है…
चल कुछ चटपटी बाते करते है
आमीर खाँ पे बाते करते है…

अरे वो सुखा, आकाल क्या हमने लाया है…?
ये व्हॉटसअॅप, फेसबुक जिंदगीमे रुहानी मजा लाया है…
अब टाईम कम पडता है जिने के लिए
साला दिन ढलता है सिर्फ सुबह होने के लिए
सुबह होते ही मै किसने क्या भेजा देखता हूँ
फिर काम-धाम छोड मैं सव्वासेर कैसे बनू यहीं सोचता हूँ
ना कुछ सुझे तो कुछभी तिकडम करता हूँ
लोग उसपरभी प्रतिक्रियांए देते है
फिर हम सोचते है की यार सही जा रहा है
चल और लुभावनी बाते करते है
चल चल कुछ चटपटी बाते करते है
आमीर खाँ पे बाते करते है…

अर्रर्रर्र… ये क्या हो गया
आमीर खाँ पे कोई बात नही कर रहा
साला मुझे भी कुछ नया नही सूझ रहा
YES YES …
चल अब बाजीराव-मस्तानी पे बाते करते है
NO NO
वो पुराना हो गया
अरे ये क्या कोई ONLINE नही क्या जमाना आ गया..
यार ये तो EXISTENCE PROBLEM हो गया…
SHIT यार नेट पॅक भी खत्म हो गया…
चल अब मुँह खोलते है…
थोडा घर वालोंसेभी बात करते है..

ता.क.
हां… याद आया… लेकीन नेट पॅक नहीं हैं ना…
– मिलिंद शिंदे