सुधारित नागरिकत्व कायद्यावरून झालेला वाद आणि त्यानंतर आता जेएनयू विद्यापीठ संकुलात झालेली तोडफोड या घटनांमुळे देशातील वातावरण तापले आहे. सामान्यांपासून सेलिब्रिटींपर्यंत अनेकजण सोशल मीडियावर व्यक्त होत आहेत, काहीजण संताप व्यक्त करत आहेत. अशातच गीतलेखन, दिग्दर्शन, अभिनय, गायन अशी मुशाफिरी करणारे स्वानंद किरकिरे यांनी इन्स्टाग्राम अकाऊंटवर सध्याच्या परिस्थितीवर मनाला भिडणारी कविता लिहिली आहे.

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स्वानंद किरकिरेंची कविता-

मार लो डंडे
कर लो दमन
मैं फिर फिर लड़ने को पेश हूँ हिदुस्तान कहते है मुझे
मैं गांधी का देश हूँ !! तुम नफरत नफरत बांटोगे
मैं प्यार ही प्यार तुम्हे दूंगा
तुम मारने हाथ उठाओगे
मैं बाहों में तुम्हे भर लूंगा
तुम आवेश की गंगा हो क्या ?
तो सुनो
मैं शिव शम्भो के केश हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ जिस सोच को मारने खातिर तुम
हर एक खुपड़िया खोलोगे
वो सोच तुम्ही को बदल देगी
एक दिन शुक्रिया बोलोगे
मैं कई धर्म
कई चहरे
कई रंग रूप
पहचान लो मुझे
कई भेष हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ मैं भाषा भाषा में रहता हूँ में धर्म धर्म में बहता हूँ कुछ कहते हैं मुझे फिक्र नहीं मैं अपनी मस्ती में जीता हूँ मुझ पर एक इलज़ाम भी है
मैं सोया सोया रहता हूं पर जब जब जागा हूँ सुन लो
इंक़लाब मैंने लाये
मेरे आगे कितने ज़ालिम
सब सारे गये आये
मैं अड़ जो गया
हटूंगा नहीं चाहे मार लो डंडे
उठूँगा नहीं मैं सड़क पे
बैठी भैंस हूँ हिंदुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ मैं खुसरो की कव्वाली
मैं तुलसी की चौपाई
बुद्ध की मुस्कान हूँ मैं बिस्मिल्लाह की शहनाई
मैं गिरजे का ऑर्गन हूँ जहां सब मिल जुल कर खेलते हैं मैं वो नानी घर का आँगन हूँ मैं संविधान की किताब हूँ मैं आंबेडकर का न्याय हूँ मैं नफरतो का उपाय हूँ मैं जितना पुराना हूँ हां सुनो
उससे ज़्यादा शेष हूँ हिन्दुस्तान कहते हैं मुझे
मैं गांधी का देश हूँ

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Web Title: Swanand kirkire heart touching poem on india ssv
First published on: 08-01-2020 at 10:10 IST